प्रशांत किशोर ने कहा, बीजेपी ये चाहती है कि लोग मान लें कि 2024 चुनाव के बाद कुछ नहीं

राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर ने कहा है कि बीजेपी ये चाहती है कि लोग ये मान लें कि 2024 के चुनाव के बाद आगे कुछ नहीं.
बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में प्रशांत किशोर ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठाए और कहा कि इस लोकसभा चुनाव को ‘डू ऑर डाई’ कहना विपक्ष की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल है.
प्रशांत किशोर ने कहा, “विपक्ष दूसरी बड़ी ग़लती कर रहा है. ये बहुत बड़ी रणनीतिक ग़लती है जिसे विपक्ष कर रहा है. कोई अगर ये कह रहा है कि इसके बाद कुछ नहीं होगा. ये तो बीजेपी चाहती है कि आप और हम ये मान लें कि 2024 के चुनाव के बाद आगे कुछ भी नहीं. जैसे ये पहला और आख़िरी चुनाव हो और एक बार अगर जनता ने बीजेपी के पक्ष में जनादेश दे दिया, तो कोई सवाल मत करो.”
उन्होंने कहा कि 2024 में कोई जीते या कोई हारे. इसका मतलब ये नहीं कि देश में विपक्ष नहीं रहेगा, असहमति नहीं रहेगी. इस देश की समस्याएँ नहीं रहेंगी. देश में आंदोलन नहीं होने चाहिए या देश में प्रयास नहीं होने चाहिए, जो बीजेपी से इत्तेफ़ाक नहीं रखते.
उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष ये कह रहा है. उनको लग रहा है कि वे लोगों को डरा रहे हैं ताकि हम कहेंगे कि 2024 के बाद कुछ नहीं बचेगा, इसलिए वोट दो हमें. मुझे लग रहा है कि वे बहुत बड़ा टेक्निकल ब्लंडर कर रहे हैं. उन्हें ये नहीं कहना चाहिए. ये सच्चाई भी नहीं है.”
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर वे उनकी जगह होते, तो ये कहते कि 2024 में लड़ेंगे, पूरी ताक़त से लड़ेंगे, लेकिन अगर 2024 में जीत नहीं भी हुई, तो इसके बाद भी समय आएगा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर एजेंडा सेट कर दिया है कि अबकी बार 400 पार. वो कहते हैं कि अब बात बीजेपी की हार-जीत की नहीं हो रही है, बल्कि इस बात की चर्चा है कि 400 सीटें आएँगी या नहीं.
ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव में कुछ ही समय रह गया है, तब विपक्ष की तैयारियां कैसी हैं और विपक्ष कहाँ खड़ा है?
इस सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर कहते हैं कि विपक्ष ने बहुत देर कर दी है.
वो अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि इसकी तैयारियां कई साल से की जा रही थीं. यह बात सबको पता थी कि इसका उद्घाटन चुनाव से कुछ महीने पहले हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसी तरह से यह सबको पता है कि 2024 के अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होंगे. ऐसे में विपक्ष का ‘इंडिया’ गठबंधन जो चुनाव से कुछ महीने पहले बना है, क्या वह गठबंधन दो-तीन साल पहले नहीं बन सकता था.
वो कहते हैं कि विपक्षी दलों को गठबंधन करने से किसने रोका था.
प्रशांत किशोर ने कहा, “वो तीन साल पहले भी किसानों का मुद्दा उठा सकते थे, दो-तीन साल पहले ही वो सीट शेयरिंग कर सकते थे. तीन साल पहले ही गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख दिया होता. अगर तीन साल पहले ही इंडिया गठबंधन बन गया होता तो उसको लेकर लोगों की समझ आज ज़्यादा होती.”
बिहार में बदलाव की आस
बाद में बीबीसी के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष जो एकता की कोशिशें करता दिख रहा है, वह दो-तीन साल पहले होनी चाहिए थी.
उन्होंने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन की भी उम्मीद जताई है.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी.
बिहार के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि अब वे बिहार में वो करना चाहते हैं, जिससे बिहार के लोगों की ज़िंदगी बदले, न कि केवल यहाँ की सत्ता बदले.
उन्होंने कहा कि आज तक मिले अनुभव के आधार पर उन्हें लगाता है कि महात्मा गांधी का रास्ता आज सबसे अधिक प्रासंगिक है.
उन्होंने कहा, “जब समाज में जाकर जन चेतना को नहीं बदला जाता है, तब तक किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद बेमानी है.”
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब यात्रा की योजना बनाई गई तो उन्होंने तय किया कि वे लोगों को यह नहीं बताएंगे कि किसको वोट दें और किसको नहीं. वे लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वोट किस बात के लिए देना चाहिए.