Bihar Politics: भाजपा के रामकृपाल को चुनौती देंगी लालू यादव की बेटी! इस सीट पर रोचक होगा मुकाबला

रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच 2014 और 2019 का चुनाव परिणाम समर्थकों की धड़कन बढ़ाने वाला रोमांचक रहा है। पटना साहिब से लोकतांत्रिक मोर्चा ने टिकट फाइनल नहीं किया है। इससे पूर्व सीने स्टार कुणाल सिंह शेखर सुमन कांग्रेस की टिकट पर किश्मत आजमा चुके हैं। हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव का गणित 2019 और 2014 की तुलना में बदला हुआ है।
पटना। नए परिसीमन के बाद 2009 से अब तक लोकसभा के पाटलिपुत्र और पटना साहिब पर भाजपा का कब्जा चला आ रहा है। भाजपा ने पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव को तीसरी बार टिकट दे दिया है। राजद से मीसा भारती को तीसरी बार टिकट मिलने की संभावना है । हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच 2014 और 2019 का चुनाव परिणाम समर्थकों की धड़कन बढ़ाने वाला रोमांचक रहा है। पटना साहिब से लोकतांत्रिक मोर्चा ने टिकट फाइनल नहीं किया है। इससे पूर्व सीने स्टार कुणाल सिंह, शेखर सुमन कांग्रेस की टिकट पर किश्मत आजमा चुके हैं।
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में दानापुर, मनेर और पालीगंज विधानसभा वर्ष 2009 से राजद को बढ़त देते रहा है जबकि बिक्रम, फुलवारीशरीफ और दानापुर में भाजपा की बढ़त हमेशा भाजपा को जीत दिलाती रही है। 2009 में यह सीट जदयू के खाते में थी तब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने मात दी थी। भाजपा के रामकृपाल यादव 2014 और 2019 में राजद के मीसा भारती को हराकर विजयी रहे हैं।
इस बार बदली हुई परिस्थिति में चुनाव
इस बार लोकसभा चुनाव का गणित 2019 और 2014 की तुलना में बदली हुई है। बीते विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा और जदयू से सभी सीट महागठबंधन के खाते में आ गई। मनेर, दानापुर, मसौढ़ी में राजद, बिक्रम में कांग्रेस, पालीगंज व फुलवारीशरीफ भाकपा माले के खाते में चली गई थी। दानापुर और बिक्रम भाजपा की परंपरागत सीट थी।
फुलवारीशरीफ, पालीगंज और मसौढ़ी जदयू के विधायक होते थे। बदले समीकरण और विधानसभा चुनाव के नतीजे के आधार पर लोकसभा चुनाव रोमांचक होने की संभावना है।
दल बदल का भी रहेगा प्रभाव
बिक्रम से कांग्रेस के विधायक इस बार भाजपा में आ गए हैं। बिक्रम से भाजपा और लोजपा के टिकट से जीतने वाले अनिल कुमार कांग्रेस का दामन थाम लिया है। राजद से मीसा भारती को टिकट की आधिकारिक घोषणा के इंतजार में टिकट के रेस में रहे राजद विधायकों को निराशा हाथ लग सकती है।