महरौली में मस्जिद के बाद अब निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा का मकबरा…दिल्ली हाईकोर्ट बोला- यह डकैती जैसा

Delhi News: दक्षिण दिल्ली के महरौली में सैकड़ों वर्ष पुरानी मस्जिद गिराने के मामले पर बढ़ा विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि दो और नए मामले सामने आ गए हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्त ऐतराज जताते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) को सख्त हिदायत दी है.
नई दिल्ली. महरौली में मस्जिद गिराने की घटना को लेकर हुआ विवाद अभी तक शांत भी नहीं हुआ था कि देश की राजधानी में दो और बड़ी घटनाएं सामने आ गई हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को डकैती के समान बताते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) से निगरानी बनाए रखने के लिए ड्रोन और उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और अन्य तकनीक का उपयोग करने को कहा है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के पास अनधिकृत निर्माण पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अधिकारियों द्वारा ‘कर्तव्य निर्वहन में गंभीर चूक’ की गई, जिन्होंने पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सूचना मिलने के बावजूद कदम नहीं उठाया
हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, ‘ड्रोन और उपग्रह छवियों जैसी नई तकनीक का उपयोग करें. अतिक्रमण निर्माण का सबसे खराब रूप है. यह डकैती करने जैसा है. जनता जमीन गंवा रही है. राज्य संपत्ति खो रहा है.’ अदालत ने कहा कि जब भी कोई अनधिकृत निर्माण होता है तो उन निर्दोष नागरिकों की रक्षा के लिए अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए, जो अंततः इसे खरीद सकते हैं और बाद में इसके दुष्परिणाम भुगत सकते हैं.
DDA और MCD
अदालत एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उक्त याचिका में दावा किया गया था कि बावली गेट के पास खसरा संख्या 556 जियारत गेस्टहाउस, पुलिस बूथ के पास हजरत निजामुद्दीन दरगाह पर अवैध और अनधिकृत निर्माण किया जा रहा है. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि न तो एमसीडी और न ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की, जो कि पहले से ही सील किए गए एक गेस्टहाउस की ऊपरी मंजिल पर हुआ है. जिसका निर्माण स्मारकों के पास डीडीए की जमीन पर अवैध रूप से किया गया था. उन्होंने कहा कि दोनों प्राधिकारियों के बीच कुछ गड़बड़ है.