संयुक्त राष्ट्र में भारत की पर्मानेंट सीट के विरोध में उतरा पाकिस्तान, जी-4 के प्रस्ताव का किया विरोध, जानें क्या कहा

Pakistan India UN Reform: भारत लंबे समय से यूएनएससी के विस्तार की मांग करता रहा है। इसके अलावा वह स्थायी सदस्यता चाहता है। लेकिन चीन और पाकिस्तान नहीं चाहते कि भारत पर्मानेंट मेंबर बने। भारत ने जी-4 देशों की ओर से एक नया प्रस्ताव रखा था। लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया है।
वॉशिंगटन: भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है। अब भारत ने जी4 देशों (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान) की ओर से एक विस्तृत मॉडल प्रस्तुत किया है। इसमें महासभा की ओर से लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए स्थायी सदस्यों को शामिल करना और वीटो के मुद्दे पर लचीलापन है। हालांकि भारत के इस प्रस्ताव के खिलाफ हमेशा की तरह पाकिस्तान उतर गया है। पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद के सुधार के लिए इस मॉडल को खारिज कर दिया है। इसके अलावा कहा कि स्थायी सदस्यों का कोई भी विस्तार सिक्योरिटी काउंसिल को पंगु बना देगा।
पाकिस्तान ने यह भी कहा कि इस प्रस्ताव से सिक्योरिटी काउंसिल छोटे देशों की मदद नहीं कर पाएगा। भारत की ओर से प्रस्तावित इस मॉडल में कहा गया कि मौजूदा 15 सदस्यों वाले परिषद की संख्या 25-26 तक बढ़ाई जाई। इसमें छह स्थायी और चार से पांच अस्थायी सदस्य जोड़े जाएं। इसके अलावा वीटो के मुद्दे पर भी लचीलेपन का प्रस्ताव दिया गया। यूएन में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत मुनीर अकरम ने कहा, ‘यूनाइटिंग फॉर कंसेंस (UFC) सदस्य के रूप में यह स्पष्ट है कि हमारी स्थिति ने लगातार नए सदस्यों के जोड़ने का विरोध किया है।’
क्या बोला पाकिस्तान?
लंबे समय से चल रही अंतर सरकारी वार्ता (IGN) का उद्देश्य सुरक्षा परिषद को सबसे प्रभावी, प्रतिनिधित्वपूर्ण और जवाबदेह बनाने के लिए इसका पुनर्गठन करना है। UFC समूह ने सदस्यों की नॉट पर्मानेंट मेंबर्स नाम की नई श्रेणी प्रस्तावित की है। इसमें लंबी अवधि के लिए सदस्यों का चुनाव और एक बार फिर चुने जाने की संभावना जताई गई है। पाकिस्तानी राजदूत ने कहा कि जी4 मॉडल विपरीत दिशा में प्रयासों को ले जाएगा। क्योंकि उसमें पांच नई गैर स्थायी और छह स्थायी सदस्यों का विस्तार शामिल है।
विस्तार पर दिखता है मतभेद
सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर सरकारी वार्ता फरवरी 2009 में शुरू हुई थी, जो अभी भी रुकी हुई है। लगभग सभी देशों का मत है कि यूएनएससी का विस्तार होना चाहिए, लेकिन विस्तार की प्रक्रिया पर हमेशा मतभेद दिखाई देते हैं। सीटों की संख्या, नए सदस्यों के चयन के मानदंड, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और सुरक्षा परिषद के स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के बीच ताकत के बंटवारे के मुद्दे हमेशा मतभेद पैदा करते हैं। यूएनएससी में वर्तमान में पांच स्थायी सदस्य ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका हैं। 10 गैर स्थायी सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल दो वर्ष का होता है।