उत्तर प्रदेशलखनऊ

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने चीन को सुनाई खरी-खरी, आतंकियों को बचाने पर लगाई लताड़, यूएन में सुधार की मांग

India China Latest News: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकियों को बचाने का मुद्दा उठाया। सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समित में वीटो के जरिए चीन आतंकियों को बचा लेता है। भारत ने अकारण ऐसा करने की आलोचना की। इसके साथ ही परिषद के दोहरे मापदंड का मुद्दा उठाया।

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को खरी-खरी सुनाई है। भारत ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समित की कार्यप्रणाली पर चिंता जताई है। पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों पर प्रतिबंध रोकने के लिए वीटो के इस्तेमाल को लेकर चीन पर निशाना साधा। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आतंकियों पर सबूतों के आधार पर प्रतिबंध की मांग की जाती है। लेकिन बिना कोई कारण बताए उनके ऊपर प्रतिबंधों के प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया जाता है।’ उन्होंने आगे कहा आतंकवाद से निपटने के लिए परिषद की प्रतिबद्धता से इस कारण दोहरेपन की बू आती है।

सोमवार को उन्होंने आतंकवाद पर सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति की पारदर्शिता पर भी चिंता जताई। एक मीटिंग में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमें इस बारे में पता चलता है कि समिति ने किन आतंकियों को प्रतिबंधित किया। लेकिन लिस्टिंग रिक्वेस्ट को अस्वीकार करने के निर्णयों को सार्वजनिक नहीं किया जाता।’ पाकिस्तानी आतंकियों पर लगने वाले प्रतिबंधों को चीन हमेशा वीटो के जरिए ब्लॉक कर देता है। भारत ने इसपर भी सवाल उठाया।

आतंकियों को बचाता है चीन

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की सूची में जब भी पाकिस्तानी आतंकियों को डालने का मुद्दा आता है तब चीन बार-बार अड़ंगा लगाता है। हाल ही में चीन का आतंकियों के प्रति प्यार देखने को मिला था। सबसे हालिया कार्रवाई पिछले साल 2009 में मुंबई पर 26/11 के हमले के आतंकी को बचाना था। तब लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकी के रूप में नामित करने से चीन ने रोका था। इससे पहले भी भारत पर हमला करने वाले आतंकियों को चीन बचाता रहा है।

सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग

भारत की ओर से पारदर्शिता का आह्वान किया गया है। उन्होंने कमेटियों को अपने अनूठे तरीके से काम करने की आलोचना की। इसके अलावा उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर भी वकालत की। उन्होंने कहा, ‘आज एक ऐसी सुरक्षा परिषद की आवश्यक्ता है जो समकालीन वास्तविकताओं, बहुध्रुवीय दुनिया की भौगोलिक विविधताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करे। जिसमें विकासशील देशों, लैटिन अमेरिका जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों और एशिया के विशाल बहुमत की आवाजें शामिल हों।’ उन्होंने आगे कहा कि सुधारों के लिए हम अब अंतर-सरकारी वार्ता के पर्दे के पीछे नहीं छिप सकते, जिसकी कोई समय सीमा नहीं है।

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