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पुलिस किसी भी पत्रकार से उनकी खबरों के लिए सूत्र नहीं पूछ सकती है। यहां तक की कोर्ट भी उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

आजकल ये देखने को मिल रहा है कि बिना किसी ठोस सबूत और बिना जांच के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए जाते हैं।

रजनीश कुमार प्रजापति ब्यूरो चीफ 

गाजीपुर।(जस्ट एक्शन) नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट— सूत्रों के हवाले से खबर लिखने वाले पत्रकारों के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से पुलिस विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों पर जमकर निशाना साधा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की बेंच ने पुलिस को भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 और 22 की याद दिलाई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि, ‘पत्रकारों के मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता के खिलाफ पुलिस किसी भी पत्रकार से उनकी खबरों के लिए सूत्र नहीं पूछ सकती है। यहां तक की कोर्ट भी उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि, ‘आजकल ये देखने को मिल रहा है कि बिना किसी ठोस सबूत और बिना जांच के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए जाते हैं। श्रेष्ठ बनने के चक्कर में पुलिस पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन कर रही है।’आपको बता दें कि सूत्रों के हवाले से चलने वाली खबरों के कई मामले कोर्ट में जा चुके हैं। कोर्ट ने पत्रकारों से खबरों के सूत्र बताने का आदेश भी दे चुके हैं।

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