अम्बेडकरनगरउत्तर प्रदेशराज्य

अंबेडकर नगर की तहसीलों में भूमाफियाओं का कब्जा।

अंबेडकर- प्रदेश सरकार भू माफियाओं पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है फिर भी बड़े भू माफिया कहीं ना कहीं अपने कार्य में पीछे नहीं दिखाई दे रहे हैं इनका साथ दे रहे सरकारी महकमें के कर्मचारी भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं भूमाफिया अधिकारी व कर्मचारी से गहरा संबंध बनाकर अवैध रूप से जमीन का क्रय विक्रय इस प्रक्रिया की मदद से कर रहे हैं उनके खिलाफ प्रदेश सरकार कड़ा रुख अपना रही है थानों में किसी भी भूमि जलसाजी के मुकदमे दर्ज कर तत्परता दिखाते हुए नामजद आरोपियों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेज रही है पुलिस की सक्रियता से तमाम भूमाफिया व उनके सहयोगी संबंधित विभागों के मुलाजिम पुलिस के पकड़ में आ चुके हैं और अंदर भेजे जा चुके हैं लेकिन कहीं न कहीं पुलिस भू माफिया की मदद भी करने में पीछे नहीं है जनपद अंबेडकर नगर के भीटी तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के कारनामे अलग ही रंग दिखा रहे हैं लिखे जाने वाले ज्यादातर दस्तावेजों के ऊपर आपत्ती लग रही है पुलिस थानों में रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है।

इसी कड़ी में एक मामला महरुआ थाना अंतर्गत राघवेंद्र सिंह पुत्र अतुल सिंह ने दर्ज कराया है जिनका कहना है की अनुपम सिंह पत्नी संजय सिंह जो कि मेरी चाची हैं मेरे पिता को बरगला कर सारी संपत्ति अपने नाम दर्ज करवा लिया है इसमें खेल रजिस्ट्री कार्यालय भीटी का है राघवेंद्र सिंह को पहले से ही कुछ अंदेशा लगा था जिस पर उन्होंने भीटी तहसील में ₹100 शुल्क जमा कर रसीद ले ली थी जिसका मतलब यह होता है कि अगर कोई प्रॉपर्टी का बैनामा करवाना चाहे तो प्रार्थी (राघवेंद्र सिंह) को खबर की जाए लेकिन तहसील कर्मियों की कारगुजारी से बैनामा भी हो गया लेकिन सूचना नहीं दी गई। इसके बाद राघवेंद्र सिंह महरुआ थाने में तहरीर दी लेकिन राघवेंद्र सिंह का कहना है कि मेरे पिता का अपहरण भी हो गया है उनका कुछ पता भी नहीं लगता इस मामले में राघवेंद्र सिंह के अनुसार पुलिस अच्छी भूमिका निभा रही है।

 

इसी तरह दूसरा मामला मो शरीफ पुत्र मोहम्मद शरीफ पुत्र खालिक निवासी रावण डीह थाना भीटी अंबेडकर नगर का है मोहम्मद शरीफ का कहना है कि मैं अनपढ़ व्यक्ति हूं मैं बराबर बीमार रहता हूं मैंने गाटा संख्या 29/ 0.122 हेक्टेयर का है जिसका पैसा ₹1000000 तय हुआ था लेकिन विपक्षी आरजू बेगम पत्नी सद्दाम निवासी रावणडीह ने अपने नाम बैनामा करवा लिया है मुझे फर्जी तरीके से नब्बे नब्बे हजार के दो चेक दिए जिसका नंबर 196893 व 196892 है । बैंक में जाने पर मुझे पता लगा कि यह चेक फर्जी है। फर्जी चेक के कारण मुझे पैसा नहीं मिल सका।

क्या यह कर्मचारी चेक नहीं देखे जबकि दस्तावेज में चेक नंबर दिया हुआ है चेक में ग्राहक की जगह 90000 रुपए लिखे हैं यह सारी कारगुजारी बैनामा लेखक व कर्मचारी की मिलीभगत से हुआ है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है क्या गरीब को पैसा मिल पाएगा अब तो गेंद पुलिस वालों के पहले में है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button