आजादी के महान सूरमा डा. पान्डुरग खानखोजे को अर्पित किये श्रृद्धा सुमन

ब्यूरो चीफ हमीरपुर
हरीशराज चक्रवर्ती
हमीरपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देशभक्त आज भी प्रेरणादायक हैं, के क्रम मे सुमेरपुर में वर्णिता संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने आजादी के संघर्ष के महान सूरमा डा. पान्डुरग खानखोजे के जन्मदिन पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि पान्डुरग सही अर्थों मे आजादी के लिये देश व विदेश मे अलख जगाते रहे। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इनका जन्म 7 नवम्बर 1884 को वर्धा महाराष्ट्र मे हुआ था।किसानों के हमदर्द होने के कारण इन्हें कृषि पंडित कहा जाता था। अमरीका मे रहते हुये इन्होंने देश की आजादी के लिये काम किया। 1908 मे पंडित काशीराम से मिलकर इन्डियन इन्डिपेन्डेस लीग की स्थापना की। गदर दल के संस्थापक सदस्य रहे और लाला हरदयाल व तिलक के संपर्क मे आये। और देश की आजादी मे योगदान देते रहे। 1947 के बाद पत्नी जीन के साथ देश वापस आकर नागपुर मे बस गये। यहीं पर 1967 मे इनका निधन हो गया। कार्यक्रम के दौरान अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, आयुष शिवहरे, अनीस, रमेश चंद्र गुप्ता, रमेश कुशवाहा, लखन आदि उपस्थित रहे।