उत्तर प्रदेशलखनऊ

बाराबंकी में अतिक्रमण पर ऐक्शन, रेठ नदी और जमुरिया नाला के किनारे 248 निर्माण होंगे ध्वस्त

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में नगर के बीच से गुजरे जमुरिया नाला और रेठ नदी के किनारों पर अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण को लेकर गुरुवार को आपात बैठक बुलाई गई। ऐसे ही रेठ नदी को पहले चरण में 50 मीटर के दायरे को खाली करवाने पर 14 निर्माण ध्वस्त करने पड़ेंगे।

बाराबंकीः उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में नगर के बीच से गुजरे जमुरिया नाला और रेठ नदी के किनारों पर अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण को लेकर गुरुवार को आपात बैठक बुलाई गई। इसमें जमुरिया नाले के बीच से 25 मीटर के दायरे को खाली करवाने पर 234 घर और पक्के निर्माण दायरे में आएंगे। ऐसे ही रेठ नदी को पहले चरण में 50 मीटर के दायरे को खाली करवाने पर 14 निर्माण ध्वस्त करने पड़ेंगे। डीएम सत्येंद्र कुमार की ओर से बुलाई गई बैठक में सिंचाई विभाग के अलावा विनियमित क्षेत्र, नगर पालिका परिषद नवाबगंज व बाढ़ कार्य खंड के अधिकारी शामिल हुए।

डीएम ने बताया कि पहले चरण में जिन घरों व निर्माण को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है। उन मामलों में सभी में विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी के सचिव व एसडीएम बिजय कुमार त्रिवेदी पहले ही ध्वस्तीकरण का आदेश पारित कर चुके है। इन आदेशों के खिलाफ करीब 30 लोगों ने उनकी न्यायालय पर अपील की है। इन मामलों में गठित कमिटी अपने निर्णय लेगी। डीएम ने बताया कि पिछले साल अगस्त 2023 में इस सकरे जमुरिया नाला व रेठ नदी के उफान से करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच पहले से ही ध्वस्तीकरण के आदेश पारित कर चुकी है। अनुपालन न होने पर नाराजगी भी जताई है।

 

बेघरों को मिलेगा आवास

 

डीएम ने बैठक में डूडा के अधिकारियों को कहा कि वह कांशीराम कॉलोनी के खाली पड़े आवासों को आरक्षित कर ले, जिससे ध्वस्तीकरण के आदेश से बेघर होने वाले लोगों को आश्रय दिया जा सके

।कोर्ट ने कहा- आठ सप्ताह में ले निर्णय

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ल व विवेक चौधरी की डबल बेंच ने प्रभावित कुछ लोगों के प्रार्थनापत्र पर गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट के समक्ष मनोज मिश्र ने अपने कुछ अन्य प्रभावित परिवारों के साथ वाद दायर कर कहा था कि उन लोग को 22 सितंबर 2023 को विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी ने नोटिस दी है। इसमें उन लोगों ने जवाब दाखिल कर दिया है। उन लोगों ने यह आशंका भी जताई कि प्रशासन उनके जवाब पर माकूल सुनवाई न करते हुए उनके आशियाने गिरा सकता है।

कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट के समक्ष आए लोग अपने नए प्रार्थनापत्र इस आदेश की प्रति के साथ विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी व एसडीएम सदर के समक्ष दो सप्ताह में प्रस्तुत करें। विनियमित क्षेत्र की सक्षम अथॉरिटी उनके प्रार्थनापत्रों पर आठ सप्ताह में सुनवाई करके डिटेल कारण के साथ आदेश पारित करे। इस अवधि में ऐक्शन न लिया जाए।

 

 

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