Bihar Politics: अजय निषाद के बाद अगला नंबर किसका? BJP के साथ ‘खेला’ करने की फिराक में हैं ये नेता

दस वर्षों तक BJP ने अजय निषाद को मुजफ्फरपुर से सांसद बनाए रखा और इस बार टिकट कटते ही अजय निषाद ने दल और दिल बदलते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। कभी अजय भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की प्रशंसा में कोई विशेषण नहीं छोड़ते थे वहीं अब कांग्रेस में जाते ही अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर भाजपा अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा पर छल करने का आरोप लगाया।
पटना। बिहार में राजनीतिक दलों की चुनावी बिसात बिछ चुकी है। एनडीए और महागठबंधन ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिन्हें टिकट नहीं मिला और जो टिकट मिलने की उम्मीद लगाए थे, वैसे नेताओं के अब दल और दिल बदलने लगे हैं।
कई तो दल बदलकर टिकट पा भी गए हैं। वहीं, कई दिग्गज नए ठौर यानी दल की तलाश में दिल बदलने की तैयारी में लग गए हैं। चुनाव के परवान चढ़ते-चढ़ते कइयों के दल और दिल बदलने की गारंटी की तरह तय मानी जा रही है।
टिकट कटते ही थाम लिया ‘हाथ’
दस वर्षों तक भाजपा ने अजय निषाद को मुजफ्फरपुर से सांसद बनाए रखा और इस बार टिकट कटते ही अजय निषाद ने दल और दिल बदलते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। कभी अजय निषाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की प्रशंसा में कोई विशेषण नहीं छोड़ते थे, वहीं अजय निषाद ने कांग्रेस में जाते ही अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर भाजपा अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा पर छल करने का आरोप लगाया।
इसी तरह सासाराम के निर्वतमान सांसद छेदी पासवान का भाजपा से टिकट करने के बाद उनकी नाराजगी सामने आई। वे भी दल बदलने की फिराक में हैं। छेदी पासवान के बेहदी एक करीबी ने बताया कि नेताजी कांग्रेस या राजद में जा सकते हैं, बस उनका टिकट कंफर्म हो जाए।
अरुण कुमार भी टिकट की तलाश में
लोजपा-रामविलास के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद अरुण कुमार बेटिकट हो चुके हैं और पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। वे भी दूसरे दल में टिकट मिलने की संभावना तलाश रहे हैं। ऐसे और भी कई नेता हैं जो बेटिकट होने के बाद दल और दिल बदलने को आतुर हैं। बस मौके की तलाश में हैं।
उनके करीबी जिस दल में हैं, वो भी उनके लिए जुगाड़ बिठाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। हालांकि, इसमें जनता के लिए कुछ भी नया नहीं है, बल्कि यह दृश्य जनता को हर चुनाव में देखने को मिलता है। दिलचस्प यह कि बिहार में कांग्रेस को महागठबंधन में नौ सीटें मिली हैं, लेकिन कई सीटों पर उसे मजबूत उम्मीदवारों का संकट है। ऐसे में उसे कुछ सीट पर आयातित उम्मीदवारों से काम चलाना पड़ेगा।