उत्तर प्रदेशलखनऊ

Ayushman Card की ये ‘सच्चाई’ जान चौंक जाएंगे आप! प्रक्रिया के झोल में हार सकते हैं जिंदगी की जंग

योजना के तहत सभी तरह के रोगों का इलाज नहीं हो सकता। जो रोग इसमें शामिल हैं उसमें भी आयुष्मान कार्ड का नाम लेते ही कुछ स्वास्थ्य संस्थाएं देर होने या लंबा प्रोसेस का भय दिखाकर मरीजों तथा उनके स्वजनों को चिंता में डाल रहे हैं। इस योजना के तहत आयुष्मान कार्ड धारक का एक साल में पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराने की उम्मीदें टूट रही हैं।

आरा/बिहिया। सिस्टम का झोल कहें या स्वास्थ्य संस्थाओं का नकारात्मक रवैया, आयुष्मान कार्ड से इसके अंतर्गत आने वाली बीमारियों का त्वरित इलाज नहीं हो पा रहा है। सरकार की बहुप्रचारित स्कीम की जमीनी हकीकत कुछ दूसरी कहानी कह रही है।

पहली बात कि योजना के तहत सभी तरह के रोगों का इलाज नहीं हो सकता। जो रोग इसमें शामिल हैं, उसमें भी आयुष्मान कार्ड का नाम लेते ही कुछ स्वास्थ्य संस्थाएं देर होने या लंबा प्रोसेस का भय दिखा कर मरीजों तथा उनके स्वजनों को चिंता में डाल रहे हैं।

 

इस योजना के तहत आयुष्मान कार्ड धारक का एक साल में पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराने की उम्मीदें टूट रही हैं। यदि आपको आंख का ऑपरेशन कराना है तो दोनों विधि यानी एसआईसीएस तथा फेको से क्रमशः पांच से साथ हजार रुपये ही आयुष्मान कार्ड से मिल सकते हैं।

बवासीर का इलाज यदि लेप्रोस्कोपिक से करना है, तो एम्स में भी आयुष्मान कार्ड से नहीं हो सकता। आपको परंपरागत ऑपरेशन से ही इलाज कराना पड़ेगा। आयुष्मान कार्ड के तहत लोग किस तरह की परेशानी झेलने पर विवश इसको केस हिस्ट्री से आसानी से समझा जा सकता है।

इस संबंध में एक विभागीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यदि किसी आयुष्मान कार्ड धारक को कोई परेशानी होती है तो वह टॉल फ्री नंबर 14555/104 पर शिकायत दर्ज करा सकता है।

 

केस स्टडी केस- 1

बिहिया प्रखंड के कल्याणपुर गांव निवासी रंजीत उपाध्याय अपनी पत्नी ज्योति देवी की रीढ़ की हड्डी में बने सिस्ट का ऑपरेशन कराने दिल्ली के गंगा राम हॉस्पिटल गए। स्थिति गंभीर थी, लेकिन आयुष्मान कार्ड दिखाया तो कहा गया कि साढ़े तीन लाख जमा कर ऑपरेशन कराएं। आयुष्मान कार्ड से कराएंगे तो नंबर लगाकर जाइए। कब नंबर आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। उन्हें अब नकदी देकर ऑपरेशन कराना पड़ रहा है।

केस- 2

बिहिया के कौशल मिश्र को बवासीर का लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन कराना था। पटना एम्स से संपर्क किया तो कहा गया आयुष्मान कार्ड से परंपरागत ऑपरेशन ही नंबर आने पर होगा, लेप्रोस्कोपिक विधा से संभव नहीं है।

केस- 3

बिहिया की फूल कुमारी देवी को आंख में लेंस लगाना था। आयुष्मान कार्ड की बात की तो कहा गया कि कार्ड से एसआईसीएस विधि से मात्र पांच हजार तथा फेको विधि से सात हजार ही खर्च हो सकता है। बाकी खर्च खुद उठाना पड़ेगा।

 

केस- 4

शाहपुर के मीडियाकर्मी दिलीप ओझा को सांस में इन्फेक्शन को लेकर इमरजेंसी में त्वरित इलाज की जरूरत थी। गंभीर स्थिति में जब पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में आयुष्मान कार्ड लेकर स्वजन इलाज कराने ले गए तो कहा गया कि ओपीडी से प्रक्रिया के तहत आना होगा। इमरजेंसी में कराना है तो 25 हजार जमा कराएं। जान पर बन आने की स्थिति में आयुष्मान कार्ड भूल कर यही कराना पड़ा।

कुछ संस्थानों में आसानी से मिल रही सुविधा

आरा के डॉ. विकास कुमार द्वारा संचालित शांति मेमोरियल जैसी भी कुछ स्वास्थ्य संस्थाएं है, जहां आयुष्मान कार्ड का लाभ धड़ल्ले से मरीजों को मिल रहा है। डॉ. विकास को आयुष्मान कार्ड का सबसे अधिक लाभ लोगों को उपलब्ध कराने के लिए सातवीं बार प्रधानमंत्री से प्रशस्ति पत्र मिल चुका है।

 

वहीं, आरा के विश्वराज हॉस्पिटल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. महावीर गुप्ता ने बताया कि प्रक्रिया के कारण मरीजों के इलाज में देरी नहीं की जाती है वह तुरंत शुरू कर दिया जाता है।

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